आड़ी चली कलेजे पे, हर धक पे टीस उठे.. तेरे बिन क्या मैं मुर्दा घर, बिन रूह जियूँ कैसे.. अधूरी तू..अधूरा मैं.. तेरे हँसी में मेरी खुशी, तुझसे लड़ा तुझमे जिया.. तू ही इबादत तू खुदा, तू ही तो मेरा है जहाँ.. तेरे इश्क़ में मैं बावरा, किस बात की है ये सजा.. ये जिस्म छू कर देख ले, है बर्फ़ सा ठंडा पड़ा.. अधूरी तू..अधूरा मैं.. जो तू नहीं तो कुछ नहीं, तेरे लिए इंसान क्या.. तूफ़ां से जाके मैं भीडूँ, चट्टानों का चूरा करूँ.. मैं आग का दरिया तरू, तेरी चोट में मेरा दर्द है.. फूटने को है जो ज्वालामुखी, जो भी खड़े है बीच में, लावे में पिघलेंगे सभी.. अधूरी तू..अधूरा मैं..