मैंने मराठी फ़िल्म सैराट नहीं देखी है। मगर आज धड़क देखा। दोनों फिल्मों की तुलना करना सही नहीं होगा। हाँ यदि आपकी करण जौहर से कोई ज्यादती दुश्मनी है तो आप स्वतन्त्र है, मगर वैसे फ़िल्म आपको निराश नही करेगी। जहान्वी कपूर का अभिनय आपको उनसे प्यार करने को मजबूर करेगा, यदि दिमाग में नेपोटिसम का कॉन्सेट लेकर ना गए हों तो। नेगेटिव रोल में आशुतोष राणा का शांत मगर अनप्रेदिक्टेबल स्वभाव आपको डरायेगा और साथ साथ ऑनर किलिंग के मुद्दे पर आपके अंतर्मन को झगझोड़ेगा। फ़िल्म में उदयपुर को अच्छे से दिखाया गया है। पिचोला नहर को देखते वक़्त मैं भी नॉस्टैल्जिक हो गया था। फ़िल्म में एक दफ़ा सपनों की नगरी मुम्बई को दिखाया गया है, जहाँ यह बात सच होते दिखाया गया है कि बॉम्बे का दिल बड़ा है। पॉकेट में पैसा हो ना हो, मुम्बई नेवर लीव्स यू। उधर कोलकाता वाले सचिन दा से आपको इतनी मोहब्बत हो जाएगी कि आप उनके साथ रम के एक पैग जरूर लगाना चाहोगे।
फ़िल्म चलती रहेगी और कब आपके सिनेमाघरों के लाइट्स ऑन हो जाएंगे, आप समझ नहीं पाओगे। फ़िल्म आपको हंसाएगी, आपके साथ टाइटल सांग गुनगुनायेगी, अचानक गुमसुम हो जाएगी, आप मधु और प्राथ्वी के लिए दुआओं की झड़ियां लगा दोगे, उनके सुख दुख को जीने लगोगे, फिर आख़िर में फ़िल्म कुछ ऐसा दिखा जाएगी, जिससे आप रोना तो चाहोगे मगर रो नहीं पाओगे। आंसू आपके सीने में तैरते रह जाएंगे...
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#MustWatch
#अमनकौशिक
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