#Manmarziyan
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अनुराग कश्यप की फ़िल्म मनमर्ज़ीयाँ अपने कुछ सीन्स को लेकर सुर्खियों में है। फ़िल्म में दो जगह सिख के किरदार में अभिषेक बच्चन और उनकी पत्नी के रूप में तापसी पन्नू को सिगरेट पिता दिखाया गया है। सिख समुदाय का कहना है कि पगड़ी वाला सरदार और सरदारों की बेटियां सिगरेट नहीं पिया करती हैं। संता और बंता के जोक से भी मारक है ये बात तो। उनका कहना है कि ऐसी चीजों से सिख समुदाय की धार्मिक भावना को ठेस पहुँचती है। ऐसा शायद पहली बार हुआ कि डायरेक्टर के मर्जी के विरुद्ध जाकर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी "एरोस इंटरनेशनल" ने उन सीन्स को फ़िल्म के रिलीज़ होने के बाद कटवा दिया। एन्जॉय द ब्यूटी ऑफ डेमोक्रेसी।
पता नहीं किस स्वप्न की दुनिया में सिख समुदाय खोया हुआ है, जिन्हें अपने घर में घटती हुई तथातकठित पाप नहीं दिखती, और पोस्टर बैनर को लेकर चले आते हैं सड़को पर। यहीं हाल आज लगभग हर धर्म का हो गया है, जहां आये दिन किसी ना किसी ठेकेदारों की भावना आहत हो जाती हैं, और छोटी छोटी बातों से धर्म खतरे में पड़ जाता हैं।
चार साल दिल्ली के पीतमपुरा में बिताने के बाद, यह बात लिखने के काबिल हुआ हूँ कि सरदारों को चाहिए कि पहले अपने घर के लौंडों को तमीज़ सिखाएं। सेकंड हैंड हौंडा सिटी में रोज रात को पगड़ी वाला सरदार दारू पी कर आता था। बात बात पर इनके यहाँ पार्टी शॉर्टी होती थी, जहाँ हुक्का, सिगरेट, दारू, रंडियां, सब बराबर होतीं थी। पंजाब का ड्रग्स भी याद कर लिया जाए, जहां शायद कोकीन की मदहोशी इनके धार्मिक भावना को हर्ट करने में फेल हो जाती होगी।
सच्चाई यहीं है कि सबको मखमली चादर में लिपटा हुआ झूठ ही पसंद आता है। नो वन डेयर्स टू सी द नेकेड ट्रुथ विथ देयर नेकेड आईज। नो वन।
#अमनकौशिक
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